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तेलंगाना विधानसभा भंग होने के बाद कांग्रेस को निशाने पर रख केसीआर ने जारी की 105 उम्मीदवारों की सूची

तेलंगाना विधानसभा भंग होने के बाद कांग्रेस को निशाने पर रख केसीआर ने जारी की 105 उम्मीदवारों की सूची
(हैदराबाद): तेलंगाना सरकार के विधानसभा भंग करने के प्रस्ताव को राज्यपाल ईएसएल नरसिंहन ने मंजूरी दे दी है। यानी अब राज्य में समय से पूहले विधानसभा चुनाव होंगे। कैबिनेट मीटिंग में तेलंगाना विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव पास हो गया और तुरंत मुख्यमंत्री केसीआर ने राज्यपाल से भेंट की। राज्यपाल ई एल नरसिंम्हन ने कहा है कि फिलहाल चुनाव तक के.चंद्रशेखर राव कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
इधर दोपहर बाद मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने पत्रकार वार्ता की और वहां न सिर्फ अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाया, बल्कि कांग्रेस और उसके अध्यक्ष राहुल गांधी पर बिफरे भी और कड़ी शब्दावली का प्रयोग किया। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने पत्रकारों के सामने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए मसख़रा और "सबसे बड़ा जोकर" जैसे शब्दों का प्रयोग किया।

कांग्रेस ने हालांकि तुरंत ही प्रतिवाद करते हुए इस पर कड़ी नाराजगी जताई है। दूसरी ओर, विधानसभा भंग होने के कुछ ही घंटों बाद सत्तारूढ़ टीआरएस ने 105 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी। तेलंगाना राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष के.चंद्रशेखर राव ने उम्मीदवारों की सूची जारी की। उन्होंने टीआरएस के मुख्यालय, तेलंगाना भवन में पत्रकार सम्मलेन के दौरान इन नामों की घोषणा की।

पत्रकार वार्ता में केसीआर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने तेलंगाना के साथ घोर तथा आपराधिक लापरवाही की है। 35 साल से तेलंगाना बिजली से संबंधित कई समस्याएं झेल रहा है। चंद्रशेखर राव ने कहा कि कांग्रेस तेलंगाना की सबसे बड़ी दुश्मन है। दरअसल तेलंगाना सरकार के राज्य में विधानसभा चुनाव समय से पहले कराने की तीन वजहें मानी जा रही हैं। पहली लोकसभा में अविश्वास मत और राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव में टीडीपी और कांग्रेस एक कैंप में थे। टीआरएस को लग रहा है कि लोकसभा चुनाव के वक्त इन दिनों में एसपी-बीएसपी जैसा गठबंधन हो सकता है। दूसरा, केसीआर लोकसभा के बजाए राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ चुनाव चाहते हैं। उन्हें डर है कि अगर इन उत्तरी राज्यों में से दो एक में भी कांग्रेस को जीत मिलती है, तो इससे सुस्त पड़ी तेलंगाना कांग्रेस में जान लौट सकती है और वह लोकसभा चुनाव में कड़ी टक्कर देने की हालत में होगी।

तीसरी लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव नहीं होने पर असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के साथ प्रत्यक्ष या परोक्ष गठबंधन के जरिये टीआरएस राज्य के 12 प्रतिशत अल्पसंख्यक वोटरों को लुभाने में सफल रह सकती है। वहीं, अगर चुनाव साथ होते हैं तो केसीआर के केंद्र के साथ करीबी रिश्ते का इस वोट बैंक पर असर पड़ सकता है। गौरतलब है कि तेलंगाना में विधानसभा की कुल 119 सीटें हैं। इसमें सत्ताधारी टीआरएस के पास विधानसभा में अभी 90 सीटें हैं, जबकि विपक्षी कांग्रेस के पास 13 सीटें और बीजेपी के पास 5 विधायक हैं।

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