श्रीशंकर शुक्ला, रायपुर। छत्तीसगढ़ के चुनावों में जातिगत समीकरण साधने में जुटी बहुजन समाज पार्टी अजा-ओबीसी वोट बैंक पर निशाना साधने में जुटी है।
पार्टी को अपने जातिगत कार्ड पर भरोसा है। छत्तीसगढ़ की परिस्थितियों को देखते हुए बसपा सवर्णों पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रही है। प्रदेश की सभी 90 विधानसभा सीटों पर ताल ठोंकने को तैयार खड़ी बसपा ने दावेदारों से आवेदन मंगाया है। पार्टी को 90 सीटों के लिए 370 आवेदन मिले हैं। इनमें सवर्णों की संख्या मात्र छह है।
प्रदेश की 87 सीटों पर बसपा को एक भी सवर्ण दावेदार नहीं मिला है। राजनीति के जानकार कह रहे हैं कि बसपा अपनी पुरानी नीति पर ही चल रही है। यहां भी वह उत्तर प्रदेश की तर्ज पर अनुसूचित जातियों और अन्य पिछड़ी जातियों पर ही निर्भर होगी। इन्हीं वर्गों को ध्यान में रखकर पार्टी अपनी रणनीति बना रही है। इसीलिए बसपा के पास सवर्ण दावेदारों का टोटा बना हुआ है।
बिलासपुर संभाग से ज्यादा उम्मीद
बिलासपुर संभाग में 24 सीटें हैं। इसमें नौ आरक्षित सीटों में चार अनुसूचित जाति और पांच अनुसूचित जनजाति के लिए हैं। बसपा को ज्यादा उम्मीद अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित बिलासपुर संभाग की सीटों से है। वैसे बिलासपुर संभाग की सभी 24 सीटों पर बसपा में ज्यादा दावेदार सामने आए हैं।
यहां कई सीटों पर 10 से ज्यादा लोगों ने दावेदारी की है। बसपा के गढ़ पामगढ़ में सबसे ज्यादा 16 आवेदन आए हैं। हालांकि जैजेपुर सीट से एक ही आवेदन आया है जो बसपा के वर्तमान विधायक केशव चंद्रा का है। दुर्ग व रायपुर संभाग में विधानसभावार 3 से 5 आवेदन मिले हैं। सरगुजा व बस्तर में आवेदनों की संख्या 2-2 है।
सवर्णों को टिकट मिलना तय नहीं
तखतपुर विधानसभा सीट से एक राजपूत और एक ब्राह्मण, बेलतरा विधानसभा सीट से एक राजपूत और एक ब्राह्मण, कटघोरा और बेमेतरा विधानसभा सीट से एक-एक अग्रवाल समाज के लोगों ने दावेदारी की है। लेकिन इनको टिकट मिलेगा या नहीं यह अभी तय नहीं है। प्रदेश के बीएसपी नेतृत्व ने हर सीट पर तीन दावेदारों के हिसाब से 270 लोगों की लिस्ट बनाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती को भेज दी है।
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